सपनो के ऐसास दिल की सीमा तक- पार्ट 3 : खवाब ....

तुम्हे भुलाना भी चाहू तो किस तरह भुलू , के तुम तो फिर भी हकीकत हो कोई खवाब नही, तुम्हारे बस मे आगर हो तो भूल जाओ हमे .......
तुम्हे भुलाने मे शायद हमे जमाना लगे , तू आपणा दिल की जावा धडकनो को गिन के बेटा _ मेरी तरह दिल भी बेकरार हे के नही _ झूकी – झूकी सी नजर बेकरार हे ........  
डबा-डबा ही सही दिल मे प्यार हे, की नही _ बस इतना ही बाता दो  _ प्यार हे तो रोशनी दिखा दू  _ दिल चीज हे क्या जाने  ये,  जान तुम्हारी हे _ तेरी बहो मे दम निकले हसत ये हमरी हे _ 
तू छोड के न जाणा , ना जी पायेगे हम _ मेरी आखो से बहेते हे ये आसू ये केते हे _ मिलने  को तरसती हे, चाहत पे तुम्हारी मरती हे  _ यादो के झरोखो से छोड के तू न जाणा _ वो दिल ही क्या ,जो तेरे मिलणे की दुवा न करे _ याद आये तो तडप्ते दिल को सुकून मिले  _ खुदा खेर,  करे तुझ को  भूल के मे जिनदा रहू _



ये खुदा न करे _ किसने कहा तू रात मे नही , दिन मे नही _ मेरे तडप्ते दिल , से पुछो की कहा-कहा नही _ रात के बसेरे मे तेरे हात की चुबण _ निंद से जगा कर कहती हे _ मेरे सुलग्ते सिने पे,  आपना  सिर रख के _ गुलाबी होठो की लाली चुराते पुछ्ते हो तुम्हे प्यार करे या न करे _

 पास आकर बाहो मे भरकर शर्मा कर खुड को चुराकर _ आपणा दामन छुडते यही की, प्यार करे या न करे _ तुम ही बताओ क्या करे या ना करे...........          
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