सपनो के ऐसास दिल की सीमा तक _पार्ट -4 : कौन हे तू ......


शाम-सवेरे तेरी यादो मे खोई... 
पल भर के लिये भी , न बिछडणे के डर से  रोई,

ना तू _  आया ना तेरा; कोई संदेशा आया
तेरी याद मुझे हर पल तडपाने लागी,  दिल मे बेचेणी तेरी आणे कि आहाठ सी होणे लगी..... 
लगा जेसे तू आया _पलट के देखा, तो लगा_ ना तू आया; ना तेरा संदेशा आया.... 

कौन हे तू , कहा हे तू _ कयू होती हे,  ख्वाहिश मेरे दिल मे ये बेचेणी , ये बेताबी , कोई तसवीर , कोई परछाई , बस दिल मे जागा ये अरमाण_ मिलणे कि अरझू , यही पुछ्ने कि झुस्त जू_
कौन हे तू, क्या ख्वबो मे आता हे तू ; क्यु दिल के सोये आरमान जगता हे तू ......

सुनी मेरी जिंदगी मे हालचल मचता हे , कौन हे तू क्या नाम हे तेरा _ क्या ख्वाब हे या हाकीकत तू _ हकीकत हे तो आ जाणा _ पकड के दामन मेरा _ थाम ले हाथ मेरा _साथ निभणा जिंदगी भर मेरा.....
यही वदा करना, जन्मो जान का साथ निभना मरके भी जुदा ना  होना ____
प्यार करना, तो साथो जनम निभाना_ भगवान से यही दुवा कि मरके भी जुदा न कना हमे_ हर जनम मे हर रूप मे जिंदगी के हर एक मोड पे चाहे सुख मे या दुख मे , मेरे प्यार का साया बनये रखना  वरना, न जी पायेगे हम _ मरके भी यही पुछेगे हमे _ बिछडना ही था तो मिलाया ही क्यु  ................ 
        
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