कर्म और भाग्य......


लोग कहते हैं कि- ईश्वर सबका भाग्य लिखता है.!
यदि ऐसा होता तो, परमात्मा सबका भाग्य बहुत ही अच्छा लिखता, और दुनिया में किसी को कोई दुःख नहीं होता.!

पर ऐसा नहीं है- ईश्वर ने हर किसी को कर्म रूपी एक ऐसी कलम दी है, जिसके द्वारा वह अपना भाग्य स्वयं लिख सकता है.!!
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जब दुनिया यह कहती है कि
‘हार मान लो’
तो आशा धीरे से कान में कहती है_____ कि, 
‘एक बार फिर प्रयास करो’
और यह ठीक भी है.....

"जिंदगी आईसक्रीम की तरह है, 
टेस्ट करो तो भी पिघलती है;.
वेस्ट करो तो भी पिघलती है,
इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना सीखो,
वेस्ट तो हो ही रही है.
- आपका मित्र स्वप्नील कनकुटे 

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