तेरे गिरने में, तेरी हार नहीं ।
तू आदमी है, अवतार नहीं ।।
गिर, उठ, चल, दौड, फिर भाग,
क्योंकि....
जीत संक्षिप्त है इसका कोई सार नहीं ।।
वक्त तो रेत है
फिसलता ही जायेगा
जीवन एक कारवां है
चलता चला जायेगा
मिलेंगे कुछ खास
इस रिश्ते के दरमियां
थाम लेना उन्हें वरना
कोई लौट के न आयेगा......
रिश्ते जिन्दा रहें और यादें भी बनी रहे...
- आपका मित्र स्वप्नील कनकुटे
*""सदा मुस्कुराते रहिये""*
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